Haryanvi Kahavaten | bujargon ki kahi Haryanavi kahavaten
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Haryanvi Kahavaten | bujargon ki kahi Haryanavi kahavaten |
🌾 Haryanvi Kahavaten | हरियाणवी कहावतें और बुज़ुर्गों के बोल
पढ़िए हरियाणवी कहावतें (Haryanvi Kahavaten) और बुज़ुर्गों की सीख। हरियाणा की देसी बोली में कही जाने वाली मजेदार और गहरी सीख देने वाली कहावतें, जो जीवन का सच बताती हैं।
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हरियाणा की बोली जितनी देसी और सरल है, उतनी ही गहरी उसमें छिपी सीख होती है। गाँव के बुज़ुर्ग हमेशा कहावतों (Kahavaten) के जरिए जिंदगी का अनुभव बाँटते हैं। ये कहावतें खेती-बाड़ी, मेहनत, रिश्तों और व्यवहार से जुड़ी होती हैं। आइए जानते हैं कुछ मशहूर हरियाणवी कहावतें और बुज़ुर्गों के बोल, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
😂 मशहूर Haryanvi Kahavaten
🌾 Haryanvi Kahavaten (हरियाणवी कहावतें)
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“जैसा बीज बोवै, तैसा फल पावै।”
👉 मतलब: जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा। -
“निंदरा बिन ना खेत फुलै, मेहनत बिन ना किस्मत खुलै।”
👉 मतलब: बिना मेहनत किए सुख और सफलता नहीं मिल सकती। -
“जाट की बात अर हल की मात। ”
👉 मतलब: जाट जो कह दे वही करेगा और हल (खेती) से बड़ी कोई बात नहीं। -
“दूध-दही का खाणा, हरियाणवी का ठाणा।”
👉 मतलब: हरियाणवी की पहचान उसका सादा और देसी खाना है। -
“ढेंगरा खा-खा ने बैल भी लठ्ठा हो जावे।”
👉 मतलब: लगातार मेहनत या चोट से मजबूत भी थक जाता है। -
“जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसार।”
👉 मतलब: जितनी औकात या सामर्थ्य हो, उसी में खर्च करो। -
“कड़कती धूप देख छांव का मोल समझ आवे।”
👉 मतलब: तकलीफ में ही आराम का महत्व पता चलता है। -
“भैंस के आगे बीन बजाना।”
👉 मतलब: जहाँ समझ न हो वहाँ ज्ञान या तर्क बेकार है। -
“ना नीयत ठीक, ना खेत ठीक।”
👉 मतलब: सोच गलत हो तो काम कभी सही नहीं होगा। -
“धीरज राखे सो चिरंजीव होवे।”
👉 मतलब: सब्र करने वाला ही लंबे समय तक सफल रहता है।
🌿 Bujargon ki Kahavaten (बुज़ुर्गों के बोल)
-
“बेर के पेड़ पे आम ना लागै।”
👉 मतलब: गलत जगह से सही उम्मीद मत रखो। -
“घड़ा भरे तो आवाज़ कम होवे।”
👉 मतलब: सचमुच विद्वान व्यक्ति कम बोलता है। -
“लाटी लठ्ठ की ना होवे, बाती बात की होवे।”
👉 मतलब: हर झगड़ा लड़ाई से नहीं, बातचीत से सुलझता है। -
“रह्यां रह्यां कुवा भी भर जावे।”
👉 मतलब: धीरे-धीरे किया काम भी बड़ा बन जाता है।
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“जैसा बीज बोवै, तैसा फल पावै।”
👉 मतलब – जैसा काम करोगे, वैसा ही फल मिलेगा। -
“निंदरा बिन ना खेत फुलै, मेहनत बिन ना किस्मत खुलै।”
👉 मतलब – बिना मेहनत किए सुख नहीं मिलता। -
“जाट की बात अर हल की मात।”
👉 मतलब – जाट जो कहेगा वही करेगा और खेती से बड़ी कोई चीज़ नहीं। -
“दूध-दही का खाणा, हरियाणवी का ठाणा।”
👉 मतलब – हरियाणवी की पहचान देसी खाना है। -
“ढेंगरा खा-खा ने बैल भी लठ्ठा हो जावे।”
👉 मतलब – लगातार मेहनत से मजबूत भी थक जाता है। -
“जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसार।”
👉 मतलब – जितना साधन हो उतना ही खर्च करो। -
“कड़कती धूप देख छांव का मोल समझ आवे।”
👉 मतलब – तकलीफ में ही आराम का महत्व पता चलता है। -
“भैंस के आगे बीन बजाना।”
👉 मतलब – जहां समझ न हो वहां ज्ञान देना बेकार है। -
“ना नीयत ठीक, ना खेत ठीक।”
👉 मतलब – गलत सोच से काम कभी सही नहीं होता। -
“धीरज राखे सो चिरंजीव होवे।”
👉 मतलब – सब्र करने वाला ही लंबे समय तक सफल होता है।
🌿 Bujargon ki Kahavaten (बुज़ुर्गों के बोल)
-
“बेर के पेड़ पे आम ना लागै।”
👉 गलत जगह से सही उम्मीद मत रखो। -
“घड़ा भरे तो आवाज़ कम होवे।”
👉 विद्वान व्यक्ति हमेशा कम बोलता है। -
“लाटी लठ्ठ की ना होवे, बाती बात की होवे।”
👉 हर झगड़ा लड़ाई से नहीं, बातचीत से सुलझता है। -
“रह्यां रह्यां कुवा भी भर जावे।”
👉 धीरे-धीरे किया काम भी बड़ा बन जाता है।
📌 क्यों खास हैं हरियाणवी कहावतें?
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देसी संस्कृति और लोक अनुभव को दर्शाती हैं।
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बुज़ुर्गों की सच्ची सीख देती हैं।
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जीवन जीने का सरल तरीका समझाती हैं।
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मजेदार अंदाज़ में गहरी बात कहती हैं।
✅ Conclusion
हरियाणा की मिट्टी से निकली ये कहावतें सिर्फ मजाक या हंसी नहीं, बल्कि जिंदगी का दर्शन भी सिखाती हैं। जब भी आप गाँव जाएं तो बुज़ुर्गों से ये कहावतें जरूर सुनें, क्योंकि इनमें अनुभव और संस्कार दोनों छिपे हैं।
👉 Signature Ending:
“कहावतें सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि पीढ़ियों का अनुभव होती हैं। इन्हें याद रखो और आगे बढ़ाओ।”
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